उँगलियों के हुनर से ऐ 'अकमल' By Sher << मुफ़्लिसी ने जा-ब-जा लूटा... अँधेरी शाम थी बादल बरस न ... >> उँगलियों के हुनर से ऐ 'अकमल' शक्ल पाती है चाक पर मिट्टी Share on: