अल्लाह-रे काफ़िरी तिरे तर्ज़-ए-ख़िराम की By Sher << वो जिन के नक़्श-ए-क़दम दे... फिर भी पेशानी-ए-तूफ़ाँ पे... >> अल्लाह-रे काफ़िरी तिरे तर्ज़-ए-ख़िराम की नक़्श-ए-क़दम से कर दिया काबे को सोमनात Share on: