अल्लाह-रे तेरे सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश By Sher << याद का ज़ख़्म भी हम तुझ क... क़फ़स भी बिगड़ी हुई शक्ल ... >> अल्लाह-रे तेरे सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश जाता है जी उधर ही खिंचा काएनात का Share on: