हमें आख़िरत में 'आमिर' वही उम्र काम आई By Sher << बयाबान-ए-जुनूँ में शाम-ए-... मेरी बरहना पुश्त थी कोड़ो... >> हमें आख़िरत में 'आमिर' वही उम्र काम आई जिसे कह रही थी दुनिया ग़म-ए-इश्क़ में गँवा दी Share on: