अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते By Sher << ऐ शम्अ सुब्ह होती है रोती... आज भी उस के मिरे बीच है द... >> अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नहीं जाते Share on: