वहशत-ए-हिज्र भी तन्हाई भी मैं भी 'अंजुम' By Sher << ये कौन है कि जिस को उभारे... उसी शरर को जो इक अहद-ए-या... >> वहशत-ए-हिज्र भी तन्हाई भी मैं भी 'अंजुम' जब इकट्ठे हुए सब एक ग़ज़ल और कही Share on: