रहे ज़रा दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता पर नज़र 'अंजुम' By Sher << सच के सौदे में न पड़ना कि... क़लंदरी है कि रखता है दिल... >> रहे ज़रा दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता पर नज़र 'अंजुम' उसी सदफ़ से अजब क्या गुहर निकल आए Share on: