है तक़ाज़ा-ए-तहज़ीब 'अनवर' By Sher << हम तो उस वक़्त समझते हैं ... अच्छा हुआ ज़बान-ए-ख़मोशी ... >> है तक़ाज़ा-ए-तहज़ीब 'अनवर' मत कहो वो कि जो मुँह में आए Share on: