समझ से काम जो लेता हर एक बशर 'ताबाँ' By Sher << बेटियाँ बाप की आँखों में ... ग़म-ए-दौराँ ने भी सीखे ग़... >> समझ से काम जो लेता हर एक बशर 'ताबाँ' न हाहा-कार ही मचते न घर जला करते Share on: