अपने अपने हौसलों अपनी तलब की बात है By Sher << बाँध कर अहद-ए-वफ़ा कोई गय... वो तिश्नगी थी कि शबनम को ... >> अपने अपने हौसलों अपनी तलब की बात है चुन लिया हम ने उन्हें सारा जहाँ रहने दिया Share on: