अपने काँधों पे लिए फिरता हूँ अपनी ही सलीब By Sher << कोई भी रुत हो मिली है दुख... अना अना के मुक़ाबिल है रा... >> अपने काँधों पे लिए फिरता हूँ अपनी ही सलीब ख़ुद मिरी मौत का मातम है मिरे जीने में Share on: