अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना By Sher << तेरे दिए हुए दुख कब बार-ए-तबस्सुम मिरे हों... >> अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना और उस के लिए शाख़ से इक फूल उतारा Share on: