अपने लिए तो ख़ाक की ख़ुश्बू है ज़िंदगी By Sher << नज्द से जानिब-ए-लैला जो ह... साँवले तन पे ग़ज़ब धज है ... >> अपने लिए तो ख़ाक की ख़ुश्बू है ज़िंदगी लाज़िम नहीं कि आब-ओ-हवा ख़ुश-गवार हो Share on: