अपनी आँखों का समुंदर बह के तो ख़ामोश है By Sher << बरसते थे बादल धुआँ फैलता ... हुस्न इक दरिया है सहरा भी... >> अपनी आँखों का समुंदर बह के तो ख़ामोश है दिल के अंदर की सुलगती आग को हम क्या करें Share on: