अपनी ना-फ़हमी से मैं और न कुछ कर बैठूँ By Sher << यूँ तो सफ़र किया है कितने... 'हबीब' इस ज़िंदगी... >> अपनी ना-फ़हमी से मैं और न कुछ कर बैठूँ इस तरह से तुम्हें जाएज़ नहीं एजाज़ से रम्ज़ Share on: