आरिज़ से तिरे सुब्ह की तोहमत न उठेगी By Sher << अक़्ल कुछ ज़ीस्त की कफ़ील... आप के साथ मुस्कुराने में >> आरिज़ से तिरे सुब्ह की तोहमत न उठेगी ज़ुल्फ़ों पे तिरी शाम का इल्ज़ाम रहेगा Share on: