आरिज़-ए-नाज़ुक पे उन के रंग सा कुछ आ गया By Sher << सारी शफ़क़ समेट के सूरज च... चाँद में कैसे नज़र आए तिर... >> आरिज़-ए-नाज़ुक पे उन के रंग सा कुछ आ गया इन गुलों को छेड़ कर हम ने गुलिस्ताँ कर दिया Share on: