अर्ज़-ए-तलब पर उस की चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर By Sher << ज़िंदगी एक कहानी के सिवा ... इसी लिए तो हार का हुआ नही... >> अर्ज़-ए-तलब पर उस की चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर शायद वो कुछ सोच रहा हो ऐसा भी हो सकता है Share on: