आरज़ू की बे-हिसी का गर यही आलम रहा By Sher << रक़्स करते हुए बगूलों में सुनता है यहाँ कौन समझता ह... >> आरज़ू की बे-हिसी का गर यही आलम रहा बे-तलब आएगा दिन और बे-ख़बर जाएगी रात Share on: