उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों By Sher << अपने बच्चों को मैं बातों ... ख़ाक हूँ लेकिन सरापा नूर ... >> उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ Share on: