असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश By Sher << एक आवाज़ तो गूँजी थी उफ़ु... बिल-आख़िर थक हार के यारो ... >> असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश ये मुरक़्क़ा है मिरी हसरत-ए-गोयाई का Share on: