अब ए'तिबार पे जी चाहता तो है लेकिन By Sher << इक बात कहें तुम से ख़फ़ा ... गो हवा-ए-गुलसिताँ ने मिरे... >> अब ए'तिबार पे जी चाहता तो है लेकिन पुराने ख़ौफ़ दिलों से कहाँ निकलते हैं Share on: