आवाज़ों की भीड़ में इतने शोर-शराबे में By Sher << लम्स की वो रौशनी भी बुझ ग... तलब-ए-आशिक़-ए-सादिक़ में ... >> आवाज़ों की भीड़ में इतने शोर-शराबे में अपनी भी इक राय रखना कितना मुश्किल है Share on: