अव्वलीं चाल से आगे नहीं सोचा मैं ने By Sher << आँखों में लिए जल्वा-ए-नैर... आसमाँ के रौज़नों से लौट आ... >> अव्वलीं चाल से आगे नहीं सोचा मैं ने ज़ीस्त शतरंज की बाज़ी थी सो मैं हार गया Share on: