ख़ुलूस-ए-नियत-ए-रहबर पे मुनहसिर है 'अज़ीम' By Sher << सफ़र का ख़ात्मा होता नहीं... मुंतज़िर हूँ मैं कफ़न बाँ... >> ख़ुलूस-ए-नियत-ए-रहबर पे मुनहसिर है 'अज़ीम' मक़ाम-ए-इश्क़ बहुत दूर भी है पास भी है Share on: