तह में दरिया-ए-मोहब्बत के थी क्या चीज़ 'अज़ीज़' By Sher << तमाम अंजुमन-ए-वाज़ हो गई ... शीशा-ए-दिल को यूँ न उठाओ >> तह में दरिया-ए-मोहब्बत के थी क्या चीज़ 'अज़ीज़' जो कोई डूब गया उस को उभरने न दिया Share on: