बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी By Sher << ज़िंदगी तो सपना है कौन &#... हाए उस दस्त-ए-करम ही से म... >> बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी मेरी तुर्बत से लगी बैठी है हसरत मेरी even after death my love did not forsake at my grave my desires kept a steady wake Share on: