बचा बचा के गुज़रना है दामन-ए-हस्ती By Sher << बंदगी तेरी ख़ुदाई से बहुत... अजीब भूल-भुलय्याँ है शाहर... >> बचा बचा के गुज़रना है दामन-ए-हस्ती शरीक-ए-ख़ार भी कुछ जश्न-ए-नौ-बहार में हैं Share on: