बच्चों का सा मिज़ाज है तख़्लीक़-कार का By Sher << हिज्र की रात और पूरा चाँद शायद सवाब तुम को भी मिल ज... >> बच्चों का सा मिज़ाज है तख़्लीक़-कार का अपने सिवा किसी को बड़ा मानता नहीं Share on: