बदल के देख चुकी है रेआया साहिब-ए-तख़्त By Sher << ये नाद-ए-अली का अजब मो... असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसी... >> बदल के देख चुकी है रेआया साहिब-ए-तख़्त जो सर क़लम नहीं करता ज़बान खींचता है Share on: