बढ़ी है ख़ाना-ए-दिल में कुछ और तारीकी By Sher << आइने में कहीं गुम हो गई स... चंद लम्हे को तू ख़्वाबों ... >> बढ़ी है ख़ाना-ए-दिल में कुछ और तारीकी चराग़-ए-इश्क़ जलाया था रौशनी के लिए Share on: