बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मिरे By Sher << बे-निशाँ साहिर निशाँ में ... पेश-ए-ज़मीं रहूँ कि पस-ए-... >> बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मिरे जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे Share on: