बाग़-ए-हस्ती से बहुत दूर थे हम By Sher << ये सोच कर भी तो उस से निब... जो कान लगा कर सुनते हैं क... >> बाग़-ए-हस्ती से बहुत दूर थे हम बू किसी गुल की लगा लाई है Share on: