मैं ही ग़मगीन नहीं तर्क-ए-तअल्लुक़ पे 'कमाल' By Sher << कैसे तुम भूल गए हो मुझे आ... अब कौन जा के साहिब-ए-मिम्... >> मैं ही ग़मगीन नहीं तर्क-ए-तअल्लुक़ पे 'कमाल' वो भी नाशाद था उस को भी फ़सुर्दा देखा Share on: