'ज़फ़र' बदल के रदीफ़ और तू ग़ज़ल वो सुना By Sher << वो कहते हैं हर चोट पर मुस... ये सवाद-ए-शहर और ऐसा कहाँ... >> 'ज़फ़र' बदल के रदीफ़ और तू ग़ज़ल वो सुना कि जिस का तुझ से हर इक शेर इंतिख़ाब हुआ Share on: