बहार इस धूम से आई गई उम्मीद जीने की By Sher << दुश्मन-ए-जाँ ही सही दोस्त... हमारे जैसे वहाँ किस शुमार... >> बहार इस धूम से आई गई उम्मीद जीने की गरेबाँ फट चुका कुइ दम में अब नौबत ही सीने की Share on: