बहें न आँख से आँसू तो नग़्मगी बे-सूद By Sher << कभी ख़याल की सूरत कभी सबा... अब ज़मीं भी जगह नहीं देती >> बहें न आँख से आँसू तो नग़्मगी बे-सूद खिलें न फूल तो रंगीनी-ए-फ़ुग़ाँ क्या है Share on: