बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए By Sher << कितना चालाक है वो यार-ए-स... रंगों से न रखिए किसी सूरत... >> बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए वहीं से वो पुकार उठेगा जो ज़र्रा जहाँ होगा Share on: