बहुत दिनों में वो आए हैं वस्ल की शब है By Sher << ग़लत-फ़हमियाँ 'मीत... निकल के आ तो गया गहरे पान... >> बहुत दिनों में वो आए हैं वस्ल की शब है मोअज़्ज़िन आज न यारब उठे अज़ाँ के लिए Share on: