बहुत से ख़ून-ख़राबे मचेंगे ख़ाना-ख़राब By पान, Sher << मैं क्यूँ कहूँ कि ज़माना ... इंसान की बुलंदी ओ पस्ती क... >> बहुत से ख़ून-ख़राबे मचेंगे ख़ाना-ख़राब यही है रंग अगर तेरे पान खाने का Share on: