बहुत तवील मिरी दास्तान-ए-ग़म थी मगर By Sher << ख़ुदा ने मुँह में ज़बान द... देखा है किस निगाह से तू न... >> बहुत तवील मिरी दास्तान-ए-ग़म थी मगर ग़ज़ल से काम लिया मुख़्तसर बनाने का Share on: