बैठे बैठे मुझे आया है गुनाहों का ख़याल By Sher << तसल्ली अब हुई कुछ दिल को ... अव्वल-ए-उम्र में देखा उसे... >> बैठे बैठे मुझे आया है गुनाहों का ख़याल शायद तिरी रहमत ने मुझे याद किया है Share on: