बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं By Sher << तोड़ कर काबे को मस्जिद न ... मंजधार में नाव डूब गई तो ... >> बजट की कई सख़्तियाँ और भी हैं ''अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं'' Share on: