बाक़ी न दिल में कोई भी या रब हवस रहे By Sher << इक हसीं आँख के इशारे पर हमें तो रास न आई किसी की ... >> बाक़ी न दिल में कोई भी या रब हवस रहे चौदह बरस के सिन में वो लाखों बरस रहे o lord no other lust may this heart contain at this tender age may forever she remain Share on: