बला का हब्स था पर नींद टूटती ही न थी By Sher << दश्त की ख़ाक भी छानी है असर है ये हमारी दस्तकों क... >> बला का हब्स था पर नींद टूटती ही न थी न कोई दर न दरीचा फ़सील-ए-ख़्वाब में था Share on: