बंद-ए-क़बा पे हाथ है शरमाए जाते हैं By Sher << बुत को पूजूँगा सनम-ख़ानों... ब-ख़ुदा सज्दे करेगा वो बि... >> बंद-ए-क़बा पे हाथ है शरमाए जाते हैं कमसिन हैं ज़िक्र-ए-वस्ल से घबराए जाते हैं Share on: