बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में By Sher << जाने किस बात से दुखा है ब... ख़ुद अपनी ही गहराई में >> बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में मरने के ब'अद हाथ से मोती बिखर गए Share on: