बरहम हैं मुझ पे इस लिए दोनों तरफ़ के लोग By Sher << बस अंधेरे ने रंग बदला है अपनी तस्दीक़ मुझे तेरी गव... >> बरहम हैं मुझ पे इस लिए दोनों तरफ़ के लोग दीवार उठ गई थी तो दर क्यूँ बनाया है Share on: