बरसों से तिरा ज़िक्र तिरा नाम नहीं है By Sher << काफ़िर हो फिर जो शरअ'... न पहुँचा गोश तक इक तेरे ह... >> बरसों से तिरा ज़िक्र तिरा नाम नहीं है लेकिन ये हक़ीक़त है कि आराम नहीं है Share on: