बस और तो क्या होना था दुख-दर्द सुना कर By Sher << धूप काफ़ी दूर तक थी राह म... बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी... >> बस और तो क्या होना था दुख-दर्द सुना कर यारों के लिए एक तमाशा निकल आता Share on: